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Channel: कविता – gurtur goth
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चँदा दिखथे रोटी कस

अक्ति के बोनी बितगे हरेली के बियासी लाँघन-भूखन पोटा जरत कोन मेर मिलही भात तियासी देवारी बर लुवई-टोरई मिस के धरलीन धान खरवन बर रेहरत रहिगेन गौटिया मन देखाइन अपन शान जन-जन खाइन मालपुआ फरा ठेठरी नइ खुलिस...

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अवइया मुख्यमनतरी कइसन हो ?

घात जियानथे जऊन ला, गरीब अऊ अनाथ के पीरा, जऊन नेता के अंतस निये, जइसे तिनफंकिया खीरा। जेला गजब सुहाथे, छत्तीसगढ़ छत्तीसगढ़िया हीरा , जऊन नी बजावय, हमर पेट ला जइसे ढोल मनजीरा। छत्तीसगढ़ के हित के खातिर,...

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धान –पान

हरियर हरियर खेतहार हे , धान ह लहलहावत हे । सुघ्घर बाली निकले हाबे । सब झन माथ नवावत हे । सोना जइसे सुघ्घर बाली , हवा में लहरावत हे । अपन मेहनत देखके सबझन , मने मन मुसकावत हे । मेहनत के फल मीठा होथे ,...

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अईसने चुनई आथे का

अईसने चुनई आथे का नकटा ह नाचथे, अऊ बेशरम ताल मिलाथे। लाज नीं लागय कोनों ल, कूटहा ल संगे संग घुमाथे। देख तो संगी अईसने चुनई आथे का! मद अऊ मऊहा के हिसाब, करमछड़हा मन बईठ जमाथे। कुकरी बोकरा के रार मचाथे,...

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छत्तीसगढ़ी भासा के महत्तम

छत्तीसगढ़ी भासा अब्बड़ मीठ ,गुरतुर बोली आय, आमा के रूख मा कोइली मीठ ,बोली अस आय. छत्तीसगढ़ी भासा अब्बड़ मीठ….. हिदय के खलबलावत भाव ल उही रूप म लाय, फूरफूंदी अस उड़त मन के ,गीत ल गाय. छत्तीसगढ़ी भासा...

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मंय छत्तीसगढ़ बोलथंव

मंय छत्‍तीसगढ़ी बोलथंव मंय मन के गॉंठ खोलथंव छत्तीसगढ़ियामन सुनव मोर गोठ ल धियान गॉंव-गॉंव म घुघवा डेरा नंजर गड़ाहे गिधवा-लुटेरा बांॅध-छांद के रखव खेती-खार अऊ मचान एक-अकेला छरिया जाहू जुरमिल दहाड़व बघवा...

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सोंच समझ के चुनव सियान

छत्तीसगढ़ ला गजब मयारू, सेवक चाही अटल जुझारू, अड़बड़ दिन भोरहा म पोहागे, निरनय लेके बेरा आगे। पिछलग्गू झन बनव, सुजान, सोंच समझ के चुनव सियान ।। करिया गोरिया जम्मो आही, रंग रंग के सब बात सुनाही, जोगी आही...

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बेरोजगारी के पीरा

का बतावंव संगी मोर पीरा ल,नींद चैन नइ आवत हे। सुत उठ के बड़े बिहनियाँ,एके चिंता सतावत हे। नउंकरी नइ मिलत हे,अउ बेरोजगारी ह जनावत हे। दाई ददा ह खेती किसानी करके,मोला पढ़हावत हे। फेर उही किसानी करे...

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देवारी के दीया

चल संगी देवारी में, जुर मिल दीया जलाबो। अंधियारी ल दूर भगाके, जीवन में अंजोर लाबो।। कतको भटकत अंधियारी मे, वोला रसता देखाबो। भूखन पियासे हाबे वोला, रोटी हम खवाबो।। मत राहे कोनो अढ़हा, सबला हम पढ़ाबों।...

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गरीब के देवारी

गरीब के देवारी का पूछथस ? संगवारी। जेकर कोठी म धान हे ओखर मन आन हे। पेट पोसा मजदूर बर सबर दिन अंधियारी ॥ का पूछथस संगवारी – गरीब के देवारी। उघरा नंगरा लइका के सुसवाय महतारी। जिनगी भर झेलथे – करम छंड़हा...

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तोरे अगोरा हे लछमी दाई

होगे घर के साफ सफाई, तोरे अगोरा हे लछमी दाई। अंगना दुवार जम्मो लिपागे, नवा अंगरक्खा घला सिलागे। लेवागे फटक्का अउ मिठाई, तोरे अगोरा हे लछमी दाई।। 1 अंधियारी म होवय अंजोर, दीया बारंव मैं ओरी ओर। हूम-धूप...

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पांच बछरिया गनपति

राजधानी म पइठ के , परभावली म बइठ के । हमर बर मया बरसाथे , हमींच ला अइंठ के । रिद्धी सिद्धी पाके , मातगे जोगी जति । ठेमना गिजगिजहा , पांच बछरिया गनपति । बड़का बुढ़हा तरिया के , करिया भुरवा बेंगवा । अनखाहा...

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बस्ता

घाठा परगे खाँध म धर लेथन बस्ता कभू-कभू हाथ म झोला के पट्टी संघार के बोह लेथन बस्ता लकड़ी के साँगा डार के ज्ञान के जोरन आय सबो पढ़थैं जेला प्राथमिक शिक्षा कहाय पीठ म पाठ लदाथे भाग गढ़े खातिर कतको दूरिहा...

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सुन तो भईरी

अई सुनत हस का भईरी, बड़े बड़े बम फटाका फुटीस हे I येदे नेता मन के भासन सुनके कुकुर मन बिकट हाँव हाँव भूकिस हे I पंडरा ह करिया ल देखके, मुंहूँ ल फूलोलिस I कीथे मोर अंगना में काबर हमाये, आय हाबै चुनई त,...

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“गंवई-गंगा”के गीत गवइया

गिरे-परे-हपटे ल रददा देखइया, जन-मन के मया-पीरा गवइया। “मोर संग चलव” कहिके भईया आँखीओझल होगए रद्दा रेंगइया।। माटी के मोर बेटा दुलरुवा, छत्तीसगढ़ी के तैंहा हितवा। सोला आना छत्तीसगढ़िया, मया-मयारू के तैं...

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सोच समझ के देहू वोट

अपन हिरदे के सुनव गोठ। सोच समझ के देहू वोट। जीत के जब आथे नेता मन, पथरा लहुट जाथे नेता मन. चिन्हव इँखर नियत के खोट। सोच समझ के संगी देहू वोट।-1 चारों खूँट सवारथ के अँधियार हे. लालच के हथियार तियार हे....

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भारत माँ के दुलौरिन बेटी

मोर भारत माँ के दुलौरिन बेटी, छत्तीसगढ़हीन दाई। तोर कोरा मं मांथ नवांके, लागौं तोरे पांई।। :-तोर कोरा मं जनम-जनम ले…2,लेवंव मै आंवतारी मोर भारत माँ के दुलौरिन बेटी, छत्तीसगढ़हीन दाई। तोरे कोरा मं मांथ...

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का होही?

बाढत नोनी के संसो म ददा के नींद भगा जाथे। कतको चतुरा रहिथे तेनो ह रिश्ता-नत्ता म ठगा जाथे। दू बीता के पेट म को जनी!! कतेक बड दाहरा खना जाथे। रात-दिन के कमई ह नी पूरय जतेक रहिथे जम्मो समा जाथे। दुब्बर...

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जाड़ अब्बड़ बाढ़त हे

बिहनिया ले उठ के दाई , चूल्हा ल जलावत हे । आगी ल बारत हे अऊ , चाहा ला बनावत हे । जाड़ अब्बड़ बाढ़त हे हँसिया ला धर के दाई , खेत डाहर जावत हे । घाम म बइठे बबा , नाती ला खेलावत हे ।। जाड़ अब्बड़ बाढ़त हे...

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तुंहर मन म का हे

तुंहर मन म का हे अपन अंतस ल बोल दव मोर मन के गोठ ल सुन लव अभी तो मान लव जो हे बात हांस के कही दव जिनगी के मया म रस घोल दव अभी तो बदलाव कर दव महुँ हंव किनारा म मझधार ल पार करा दव मया के गोठ हांस के बता...

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